नर्मदा हमारे देश की पवित्र नदियों में से एक है। इस नदी का उल्लेख अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, इसी नदी के तट पर राजा कार्तवीर्य अर्जुन ने रावण को हराया था। धर्म शास्त्रों के अनुसार नर्मदा में स्नान करने से ही कई परेशानियों का अंत हो जाता है। यहां तक कि कालसर्प व ग्रह दोष की शांति भी इसमें स्नान करने से हो जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य अनुसार जानिए नर्मदा में स्नान करने से और क्या-क्या लाभ होते हैं-
1. पंडित जी Best Astrologer के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे किसी भी महीने के अमावस्या तिथि के दिन नर्मदा में स्नान करना चाहिए और चांदी से निर्मित नाग का संस्कार कर नर्मदा में विसर्जन करना चाहिए। ये छोटा-सा उपाय करने से कालसर्प दोष की शांति होती है व दुष्प्रभाव कम होते हैं।
2. किसी भी मनुष्य की कुंडली में स्थित उग्र ग्रह को शांत करने की शक्ति भी नर्मदा के जल में है। मंगल, शनि, राहु, केतु के दोष तो इस जल के स्नान मात्र से दूर हो जाते हैं। विशेषकर शनिश्चरी अमावस्या के दिन नर्मदा के जल में स्नान करने से ऊपरी हवाओं से बचने की शक्ति हमें प्राप्त होती है।
3. भगवान शंकर से उत्पन्न होने के कारण यह नदी आद्य शक्ति की शक्तियों से पूर्ण है। अत: इसमें स्नान करने एवं दर्शन करने से सूर्य के समान तेज, चंद्र के समान सौम्यता, बुध के समान धैर्य एंव गुरु के समान धार्मिकता प्राप्त होती है।
4. दाम्पत्य जीवन में खुशहाली न हो या विवाह होने में देरी हो रही हो तो भी नर्मदा का स्नान इस समस्या का निदान करता है। इस नदी में स्नान कर गीले वस्त्रों से शिव-पार्वती का पूजन कर पार्वतीजी को लगा सिंदूर स्त्री या पुरुष अपने मस्तक पर धारण करे तो शिव-पार्वती के वरदान से विवाह संबंधी कैसी भी समस्या से निजात मिलती है।
5. नर्मदा का जल पितरों को तर्पण के लिए परम पवित्र है। इसके समस्त घाटों पर पितृ तर्पण करवाया जाता है। स्वयं भी यह कार्य किया जा सकता है। स्नान के पश्चात नर्मदा के जल से पितरों को तर्पण उनके लिए सुखदायक होता है।
भारत में अनेक प्रसिद्ध नदिया है, जिनमे स्नान मात्र से ही सभी कष्ट दूर हो जाते है | पंडित जी Black Magic Specialist द्धारा बताये गए उपयोगों से आप जीवन में सुख- समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते है | इस प्रकार किसी भी प्रकार की समस्या के लिए आप पंडित जी से उचित समाधान पा सकते है |
Source- Dainik Bhaskar
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